झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोरों पर है, और इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने JMM-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर तीखा हमला किया है। एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने झारखंड में राजनीति के जातीय समीकरणों को लेकर चिंता व्यक्त की और हिंदुओं के वोटों के विभाजन का आरोप लगाया।
हिमंत बिस्वा सरमा का बयान
हिमंत बिस्वा सरमा ने अपनी बात रखते हुए कहा, “JMM-कांग्रेस का उद्देश्य है जाति के नाम पर हिंदुओं का वोट बांटना और एक विशेष समुदाय का 100% वोट लेना।” उन्होंने आगे कहा कि यदि झारखंड में यही स्थिति बनी रही, तो भविष्य में हिंदुओं की आबादी 50% रह जाएगी, और घुसपैठियों की संख्या भी इसी अनुपात में बढ़ जाएगी। सरमा ने इसे अस्मिता का चुनाव बताते हुए घुसपैठियों को बाहर निकालने की आवश्यकता को प्रमुखता दी।
चुनावी जनसभा में विवादास्पद बयान
अपने संबोधन के दौरान, सरमा ने एक विवादास्पद उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले मैंने देखा कि झारखंड में एक माताजी के पास एक थैली थी, जिस पर हेमंत सोरेन का फोटो था। मैंने माताजी से पूछा कि क्या वे वोट JMM को देंगी, उन्होंने कहा- बेटा, झोला हेमंत सोरेन का है, लेकिन अंदर जो चावल हैं, मोदी जी के हैं।” इस बयान ने राजनीतिक माहौल में और भी गर्मी पैदा कर दी है।
असम में मदरसा बंद करने की बात
हिमंत बिस्वा सरमा ने मदरसों के खिलाफ भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “असम में कुछ लोगों ने कहा कि हम मदरसा नहीं बंद कर पाएंगे। मैंने बोला भारत को मुल्ला की जरूरत नहीं है, डॉक्टर, इंजीनियर की जरुरत है।” उनके इस बयान के संदर्भ में, उन्होंने यह भी कहा कि जब हिंदू एकजुट होते हैं, तो कोई भी हल्ला नहीं होता।
चुनाव आयोग में शिकायत
हिमंत बिस्वा सरमा के विवादास्पद बयानों के खिलाफ विपक्षी INDIA ब्लॉक ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। विपक्ष के नेताओं ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी रवि कुमार से मुलाकात की और सरमा के खिलाफ भड़काऊ और विभाजनकारी भाषणों के लिए कार्रवाई की मांग की। इस घटना ने राजनीतिक गर्मागर्मी को और बढ़ा दिया है और झारखंड में चुनावी माहौल को और भी रोचक बना दिया है।
निष्कर्ष
झारखंड विधानसभा चुनाव में इस प्रकार के बयान और विवाद निश्चित रूप से चुनावी लड़ाई को और भी रोचक बनाएंगे। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयान ने राजनीतिक माहौल में तूफान ला दिया है, और इस पर प्रतिक्रिया देखने के लिए सभी राजनीतिक दल उत्सुकता से इंतज़ार कर रहे हैं। चुनावी राजनीति में इस तरह के मुद्दे हमेशा चर्चा का विषय बनते हैं, और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका असर चुनाव परिणामों पर कैसे पड़ता है।
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