झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से पहले, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक विशेष मांग उठाई है: हिंदू समुदाय के लिए मंगलवार को छुट्टी घोषित की जाए। यह मांग राज्य में चुनावी माहौल को और गरम कर रही है, जहां विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे के साथ मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।
मांग का संदर्भ और पृष्ठभूमि
हिमंत बिस्वा सरमा, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख नेताओं में से एक हैं, ने झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान यह मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जैसे अन्य धर्मों के त्योहारों पर छुट्टियां दी जाती हैं, वैसे ही हिंदू समुदाय के लिए भी मंगलवार को छुट्टी घोषित की जानी चाहिए। उनका तर्क है कि यह कदम धार्मिक समानता और समरसता को बढ़ावा देगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विवाद
सरमा की इस मांग ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जैसे विपक्षी दलों ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है। उनका कहना है कि यह मांग केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए उठाई गई है और इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।
चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, आयोग के सूत्रों के अनुसार, वे इस मांग का अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही इस पर निर्णय लेंगे।
धार्मिक छुट्टियों का वर्तमान परिदृश्य
भारत में विभिन्न धर्मों के त्योहारों पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर छुट्टियां घोषित की जाती हैं। हालांकि, मंगलवार को हिंदू धर्म में विशेष महत्व नहीं दिया गया है, इसलिए इस दिन छुट्टी की मांग ने कई सवाल खड़े किए हैं।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
सामान्य जनता के बीच इस मांग को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे अनावश्यक और राजनीतिक लाभ के लिए उठाई गई मांग के रूप में देखते हैं।
निष्कर्ष
हिमंत बिस्वा सरमा की यह मांग झारखंड चुनाव के दौरान एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग और अन्य संबंधित प्राधिकरण इस पर क्या निर्णय लेते हैं और यह मांग चुनाव परिणामों को कैसे प्रभावित करती है।
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