Jharkhand News: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार द्वारा लागू की गई नई उत्पाद नीति ने शराब व्यवसाय से जुड़े खुदरा दुकानदारों को चिंता में डाल दिया है। इस नई नीति के तहत राज्य सरकार ने शराब की थोक और खुदरा बिक्री का संचालन खुद अपने नियंत्रण में ले लिया है। इससे निजी दुकानदारों के व्यवसाय पर गहरा असर पड़ने की संभावना है।
नई शराब नीति के मुख्य बिंदु
सरकार की नई उत्पाद नीति कई बदलावों को लेकर आई है। इनमें सबसे बड़ा बदलाव यह है कि झारखंड स्टेट बिवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) को राज्य में शराब की बिक्री का पूरा नियंत्रण सौंपा गया है। इसके तहत निजी विक्रेताओं को लाइसेंस लेकर संचालन की अनुमति मिलेगी, लेकिन उनकी स्वतंत्रता सीमित होगी। राज्य में खुदरा शराब दुकानों की संख्या मौजूदा 750 से बढ़ाकर 1500 कर दी जाएगी। साथ ही, गोदामों की संख्या को घटाकर 75 से केवल 5 किया जाएगा।
देशी शराब की पैकेजिंग में बदलाव
नई नीति के तहत देशी शराब की पैकेजिंग में भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब इसे प्लास्टिक की जगह शीशे की बोतलों में बेचा जाएगा। इन बोतलों पर QR कोड लगाया जाएगा, जिससे उपभोक्ता शराब की गुणवत्ता और कीमत की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। यह कदम अवैध शराब बिक्री पर रोक लगाने और उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए उठाया गया है।
राजस्व वृद्धि का लक्ष्य
सरकार का दावा है कि इस नीति से राज्य के राजस्व में भारी वृद्धि होगी। मौजूदा समय में राज्य का शराब व्यवसाय लगभग 1800 करोड़ रुपये का है, जिसे इस नई नीति के माध्यम से 3000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है। सरकार का मानना है कि इस कदम से अवैध शराब कारोबार पर लगाम लगेगी और राज्य के कोष में अधिक धनराशि आएगी।
खुदरा दुकानदारों की परेशानियां
इस नई नीति के कारण निजी दुकानदारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी नियंत्रण में शराब की बिक्री होने से उनकी आज़ादी खत्म हो रही है। दुकानों की संख्या बढ़ने और सरकारी प्रबंधन के कारण बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इससे निजी दुकानदारों की बिक्री और मुनाफे पर सीधा असर पड़ सकता है।
लाइसेंस और संचालन की नई शर्तें
सरकार ने नई नीति के तहत लाइसेंस प्रक्रिया को सख्त बना दिया है। निजी दुकानदारों को नए नियमों का पालन करना होगा, जिसमें कई शर्तें जोड़ी गई हैं। यह दुकानदारों के लिए एक और बड़ी चुनौती है। इन शर्तों का पालन करना कई छोटे दुकानदारों के लिए मुश्किल हो सकता है, जिससे उनका व्यवसाय बंद होने की संभावना बढ़ जाती है।
उपभोक्ताओं के लिए क्या बदलेगा?
नई नीति से उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त शराब मिलने का दावा किया जा रहा है। QR कोड के जरिए शराब की गुणवत्ता और कीमत की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, अधिक संख्या में दुकानें खुलने से उपभोक्ताओं को शराब खरीदने में आसानी होगी। लेकिन, अगर सरकारी संचालन में कोई कमी रही, तो इससे शराब की आपूर्ति और कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।
अवैध शराब कारोबार पर रोक लगाने की कोशिश
झारखंड में अवैध शराब का कारोबार लंबे समय से एक बड़ी समस्या रहा है। नई नीति के जरिए सरकार का प्रयास है कि इस पर सख्ती से रोक लगाई जाए। QR कोड और सरकारी निगरानी के कारण अवैध शराब की बिक्री को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
क्या कहती है सरकार?
सरकार का मानना है कि नई नीति राज्य के राजस्व को बढ़ाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा प्रदान करेगी। हेमंत सोरेन ने अपने बयान में कहा कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और अवैध शराब कारोबार पर रोक लगेगी।
विपक्ष और दुकानदारों का विरोध
इस नीति का विपक्ष और खुदरा दुकानदार विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के इस कदम से निजी विक्रेताओं का व्यवसाय पूरी तरह समाप्त हो सकता है। विपक्षी दलों का दावा है कि यह नीति निजी क्षेत्र के खिलाफ है और इससे राज्य में बेरोजगारी बढ़ेगी।
क्या है आगे का रास्ता?
नई शराब नीति के लागू होने से झारखंड में शराब व्यवसाय का पूरा परिदृश्य बदलने वाला है। हालांकि, सरकार को चाहिए कि वह खुदरा दुकानदारों की चिंताओं को भी ध्यान में रखे। निजी दुकानदारों के लिए विशेष प्रावधान और राहत योजनाएं लागू की जानी चाहिए, ताकि उनका व्यवसाय बचा रहे।
निष्कर्ष
झारखंड की नई शराब नीति ने राज्य में शराब व्यवसाय से जुड़े सभी पक्षों को प्रभावित किया है। सरकार इसे राजस्व बढ़ाने और अवैध कारोबार रोकने के लिए एक अहम कदम मानती है, लेकिन इससे निजी दुकानदारों और छोटे व्यवसायियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। अगर सरकार उनकी चिंताओं का समाधान करने में सफल होती है, तो यह नीति राज्य के विकास में एक अहम भूमिका निभा सकती है।